झारखंड के सर्वांगीण विकास के प्रति निष्ठावान।
रांची (केलांचल टीम)-
अपने पैतृक गांव में उमेडंडा प्रखंड बुंडू रांची में जन्मी सुचिता सिंह जी को राजनीति उनकी विरासत में मिली है। इनके पिता श्री चंद्रदेव सिंह क्षेत्र के महान समाजसेवी और झारखंड हाईकोर्ट में स्टेरिंग कानसिलर व बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन रहे हैं। उन्होंने "झारखंड एक दर्पण" की रचना व झारखंड आंदोलन के दौरान अपनी अहम सेवाएं राज्य को दी है। श्रीमती सुचिता जी बताती हैं कि राजनीति उन्हें विरासत में मिली।पिता के कार्यों से समाज सेवा की प्रेरणा मिली। समाज सेवा के क्षेत्र में उनके पिता "बाबासाहेब" के नाम से लोकप्रिय रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके परिवार का अहम योगदान रहा है। झारखंड के जनमानस से परिवार जुड़ा रहा है।शिक्षण काल से ही महिलाओं को सशक्त करने का कार्य शुरू किया था। महिलाओं के शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद किया। वर्ष 2009 में आजसू जिला अध्यक्ष बनी। कार्यों व उत्तरदायित्व का संवहन किया।महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए आवाज बुलंद की। श्री सुदेश महतो जी इनके राजनीतिक दिग्दर्शक बने। श्रीमती सुचिता बताती हैं कि झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल जी के आदर्शों और झारखंड के लिए उनके समर्पण की भावना को देखकर पार्टी में आई। झारखंड विकास मोर्चा की केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य मनोनीत हुई। हटिया विधानसभा की जनता की आवाज व भावना को जानकर उनके लिए कार्य करने की सोच बनी है। आगे पार्टी के सिद्धांतों पर कार्य करती रहूंगी। वर्तमान में श्रीमती सुचिता सिंह इंटर कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य, लघु उद्योग भारती के झारखंड की स्टेट कोऑर्डिनेटर, रांची योगा चैंपियनशिप के संरक्षक,महावीर मंडल की
श्रृंगार समिति की संरक्षक जैसे महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर रही है। महिलाओं,युवाओं और आम नागरिकों को संदेश देते हुए कहती हैं कि हटिया विधानसभा क्षेत्र का विकास हो, विस्थापितों को उनका हक मिले, युवाओं के हाथ में रोजगार हो,शहीद परिवार के सदस्यों को उनका हक व सम्मान दिलाने का हर संभव प्रयास करूंगी। महिलाएं स्वावलंबी बनकर परिवार समाज राज्य और देश के सर्वांगीण विकास में सहयोग करें। अपने अतीत के पन्नों को पलटते हुए वह कहती हैं कि-
कल हम रहे ना रहे, हर काम हमारा धाम होगा।
हर ईंट पर तुम देख लेना, लिखा मेरा पैगाम होगा।
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