रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबले के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ठोस तैयारी की है। मोर्चा ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कराए गए आंतरिक सर्वे रिपोर्ट के संकेत व सुझावों के आधार पर रणनीति बनाने का निर्णय किया है। रिपोर्ट पर एक साल तक झामुमो की कोर टीम ने मेहनत की है। सर्वेक्षण एजेंसियों की मदद भी इस रिपोर्ट में ली गई है। इसमें विधानसभा चुनाव में अधिकतम 30 सीटों पर स्थिति मजबूत होने का दावा किया गया है। नसीहत दी गई है कि चिन्हित की गई सीटों पर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी प्रबंधन तक में सतर्कता बरती जाए।

यह भी सलाह दी गई है कि भाजपा के प्रचार तंत्र से मुकाबले के लिए उसी पैमाने पर कैडर समानांतर काम करें ताकि बेहतर छवि पेश की जा सके। इस सिलसिले में झामुमो हाइटेक भी हुआ है। खुद कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन सोशल प्लेटफार्म पर सक्रिय रहते हैं। उन्होंने ट्वीटर पर लोगों से लाइव बातचीत की है। टीम ने यह फीडबैक दिया है कि भाजपा में जिस ढर्रे और नारे को आगे रखकर आक्रामक चुनाव प्रचार चल रहा है, उसका फायदा झामुमो को मिलेगा। 

40 प्लस सीटों पर दावेदारी

झारखंड मुक्ति मोर्चा, भाजपा विरोधी दलों के महागठबंधन का हिमायती है। मोर्चा महागठबंधन के नेतृत्व का भी दावा करता है। सीट शेयङ्क्षरग भी उसे सबसे ज्यादा चाहिए। शीर्ष नेतृत्व ने स्पष्ट कहा है कि हमें उतनी ही सीट चाहिए जितना पूर्ण बहुमत के लिए आवश्यक है। जाहिर है 41 से कम सीटों पर झामुमो समझौता करने में आनाकानी करेगा। फिलहाल महागठबंधन को लेकर स्थिति भी अस्पष्ट है। संभावना जताई जा रही है कि झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी अपनी खेमेबंदी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्र्रेस और राजद मिलकर गठबंधन बनाएंगे। अन्य विपक्षी दलों का इससे इतर कैंप होगा। 

संताल-कोल्हान पर फोकस

झामुमो के एजेंडे में संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल में दमदार स्थिति बनाए रखना है। यह बड़ी चुनौती भी है। भाजपा ने भी इन दोनों इलाकों में पूरा दम लगाया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संताल परगना प्रमंडल को चुनाव से पहले नाप लिया है। 26 सितंबर से वे कोल्हान का रूख करेंगे। कोल्हान के तीन जिलों में से दो जिलों सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम में झामुमो का खास प्रभाव है।
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